जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को हुई बैठक में देश के छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत दी गई है। जीएसटी परिषद ने डेढ़ करोड़ तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों को हर महीने रिटर्न दाखिल करने से छूट दे दी है। अब इन कारोबारियों को तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करना होगा। 75 लाख सालाना टर्नओवर तक के व्यापारियों को अभी कंपोज़ीशन स्कीम के तहत 1 फीसदी टैक्स देकर रिटर्न दाखिल करने से छूट मिलती है, यह लिमिट एक करोड़ तक बढ़ाई गई है। इसके साथ ही रिवर्स चार्ज मेकेनिज़्म भी 31 मार्च 2018 तक स्थगित कर दिया गया है। बता दें कि जीएसटी में अनरजिस्टर्ड डीलर से सामान खरीदने पर व्यापारी को टैक्स का भुगतान खुद करना पड़ता था जिसे रिवर्स चार्ज मेकेनिज़्म कहते हैं। कंपाउंडिंग डीलरों को दूसरे राज्यों में माल बेचने का अधिकार और इनपुट सब्सिडी का लाभ देने के लिए 5 सदस्यीय मंत्रिसमूह का गठन किया गया है। वहीं रिवर्स चार्ज की व्यवस्था के तहत करदाताओं को माल खऱीदने पर कर का भुगतान करना पड़ता था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा, ‘जीएसटी को लागू किए हुए लगभग तीन महीने पूरे हो गए हैं। पहले दो महीनों की रिटर्न भी फाइल हुई हैं।इसका अलग-अलग कारोबारों पर क्या असर है और लोगों के क्या अनुभव रहे हैं, इन मुद्दों पर इस बैठक में चर्चा हुई।’ उन्होंने कहा, ‘एक प्रमुख विषय था, छोटे कारोबारी और निर्यात के क्षेत्र पर जीएसटी के असर पर खासतौर पर चर्चा हुई. विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दर और रिवन्यू कलेक्शन पर चर्चा हुई। कलेक्शन की स्थिति इस वजह से साफ नहीं हो सकती क्योंकि यह ट्रांजेक्शन का दौर रहा है।’ वित्त मंत्री ने बताया कि पहली चर्चा एक्सपोर्ट के संबंध में थी। एक्सपोर्ट पर टैक्सेशन तो लगता नहीं है। एक्सपोर्ट को दुनिया के बाजार में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। इस मामले में एक कमेटी के सुझावों को माना गया है। उन्होंने कहा कि एक्पोर्टर की धनराशि ब्लॉक हो गई है। जिससे उसे पैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। रिफंड की व्यवस्था सामान्य होने में कुछ समय लगेगा। 10 अक्टूबर से जुलाई और 18 अक्टूबर से अगस्त के महीने का रिफंड जांच कर एक्सपोर्टरों को चेक दे दिए जाएंगे। दीर्धकालीन समाधान के लिए हर एक्सपोर्टर ई-वालेट का बनेगा और एक निश्चित धनराशि उसे एडवांस रिफंड के लिए दी जाएगी. यह ई-वालेट अप्रेल 2018 तक दे दिया जाएगा.।
जेटली ने कहा, ‘जीएसटी के पैटर्न में कलेक्शन पैटर्न है उसमें जो बड़े करदाता हैं उनसे सबसे ज्यादा कर आया है। जो मध्यम और छोटे करदाता हैं उनकी तरफ से कम या शून्य टैक्स आया है। उन्होंने कहा, ‘कंपोजिशन स्कीम का दायरा बढ़ाया गया है. अब 75 लाख के स्थान पर 1 करोड़ का जिनका टर्न ओवर है वे इसके दायरे में आएंगे. इसके तहत जो ट्रेडिंग करते हैं वे एक फीसदी टैक्स देंगे, जो निर्माता हैं उन्हें दो फिसदी और जो रेस्टोरेंट कारोबार में हैं उन्हें 5 फीसदी कर देना होगा। कंपोजिशन स्कीम में तीन महीने में रिर्टन दाखिल करना होता है। जिनकी डेढ़ करोड़ की टर्न ओवर है वो अब मासिक रिर्टन के स्थान पर तिमाही रिटर्न दाखिल कर पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि ई-वे बिल कर्नाटक में शुरू हो चुका है। उनका अनुभव अच्छा रहा है। पहली अप्रैल से इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। 24 वस्तुओं पर टैक्स की दरों को फिर से निर्धारित किया गया है। कोटा स्टोन आदि को 28 से 18, स्टेशनरी के आइट्मस 28 से 18, डीजल इंजन के पार्ट 28 से 18, ई-वेस्ट 28 से 5, सर्विस सैक्टर में जॉब वर्क 5 फीसदी के दायरे में लाए गए हैं। इसके अलावा खाकड़ा 12 से 5, बच्चों के फूड पैकेट 18 से 5, अनब्रांडेड नमकीन 12 से 5 फीसदी, अनब्रांडेड आयुर्वेदिक 18 से 5,पेपर वेस्ट 12 से 5, रबर वेस्ट, मैनमेड धागा 18 से 12 किया गया है।