रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए नई प्रौद्योगिकी लाने पर बल देते हुए उद्योग जगत एवं निवेशकों का श्रेष्ठतम तकनीक के साथ आगे आने का आह्वान किया तथा घोषणा की कि रेलवे को आपूर्ति करने वाले निजी उद्यमियों को 30 दिन के भीतर इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से पूरा भुगतान कर दिया जाएगा। गोयल ने यहां प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय रेल प्रदर्शनी एवं सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर देश विदेश के निवेशकों एवं रेल उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए यह बात कही। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु शामिल हुए।
रेल मंत्री ने भारत जापान के सहयोग से मुंबई -अहमदाबाद के बीच शिन्कान्सेन हाईस्पीड रेल के क्षेत्र में हुए समझौते की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे में 1969 में राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन के बाद उससे अधिक गति की रेल सेवा शुरू नहीं हो पाई। 50 साल बाद देश में हाईस्पीड ट्रेन सेवा शुरू करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि रेलवे में यात्री गाडिय़ों एवं मालगाडिय़ों के परिवहन के लिए अलग अलग लाइनें होनी चाहिए। रेल सेवा को आरामदायक, सुविधाजनक तथा लागत घटाकर किफायती एवं लाभकारी बनाया जाना चाहिए। इसी प्रकार से मालवहन के लिए भी सभी पक्षकारों के लिए संतोषजनक बनाया जाना होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे उच्च एवं विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी के लिए आतुर है और इसमें अधिक विलंब नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि रायबरेली स्थित कोच फैक्टरी की क्षमता एक हज़ार कोच प्रतिवर्ष से बढ़ाकर पांच हज़ार कोच प्रतिवर्ष करने का निर्णय लिया गया है। इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी। गोयल ने रेलवे के अनुसंधान, अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा देशी विदेशी नयी प्रौद्योगिकी की समीक्षा एवं परीक्षण करने के नाम पर उसे बरसों तक लटकाने की आदत पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आरडीएसओ को कहा गया है कि वह परीक्षण के लिए लंबित सभी प्रौद्योगिकी का एक निश्चित समयावधि में परीक्षण करके मंज़ूर या नामंज़ूर करे और उसके कारणों को बताते हुए सार्वजनिक मंच पर प्रकाशित करे। उन्होंने कहा कि रेलवे के वित्त अधिकारियों को परियोजनाओं की लागत के आकलन की प्रक्रिया में सुधार लाने को भी कहा गया है।
उन्होंने निवेशकों एवं देशी विदेशी उद्योगपतियों से रेलवे को नयी प्रौद्योगिकी एवं अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति के लिए आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि रेलवे अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी आपूर्तिकर्ताओं को 30 दिन के भीतर भुगतान करें और आपूर्तिकर्ताओं को रेलवे कार्यालयों के चक्कर लगवाने की बजाए आरटीजीएस के जरिये उनके खाते में भेजा जाये। हिरामात्सु ने कहा कि भारत में शिन्कान्सेन के आने से परिवहन आधारित विकास आरंभ होगा। जापान भारत को शिन्कान्सेन हाईस्पीड तकनीक के साथ साथ पांरपरिक रेलवे में यात्रा को आरामदायक, सुविधायुक्त एवं संरक्षित बनाने में पूरा सहयोग दे रहा है। उन्होंने बताया कि जापान भारतीय रेलवे को ऑटोमैटिक ट्रेन स्टॉपिंग तकनीक देगा। बाद में गोयल एवं हिरामात्सु ने अंतर्राष्ट्रीय रेल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में जापान अमेरिका, चीन, जर्मनी, स्विट्जऱलैंड, चेक गणराज्य, अमेरिका आदि विभिन्न देशों की अनेक कंपनियों ने स्टॉल लगाए हैं।