बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जान को शराब माफियाओं से खतरा है। यह आशंका उन्होंने स्वयं ही इशारों में जताई है। दरअसल, बिहार में शराबबंदी के बाद से नीतीश कुमार शराब माफियाओं के निशाने पर हैं। उन पर लगातार कई स्तर से शराबबंदी वापस लेने का दवाब बनाया जा रहा है। इससे तंग आकर पिछले दिनों उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि जब तक वह जिंदा है बिहार में शराबबंदी नहीं हटेगी, जिसे भी उनके फैसले से दिक्कत है उसको उनकी हत्या कर देनी चाहिए, क्योंकि वह ये निर्णय वापस नहीं लेंगे।
इसके बाद गत दिन मुख्यमंत्री ने जनता दल (एकीकृत) की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सभी पार्टी नेताओं को यह कहकर चौंका दिया कि अगर मैं कल मर जाऊँ तो पार्टी का क्या होगा? नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह मौत जैसे शब्द का क्यों प्रयोग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि कौन जानता है कल क्या होगा? हालांकि बाद में नीतीश ने सफाई दी, अरे ऐसे ही मुंह से निकल गया था। कुछ खास नहीं। जदयू के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार नीतीश ने पहली बार ऐसी कोई टिप्पणी की है। इससे इस आशंका को और बल मिला है कि वह शराब माफियाओं के निशाने पर हैं। उन्हें कहीं से अपनी जान का खतरा होने का इनपुट मिला है।
बिहार राजनीतिक हत्याएं भी आम बात है। बिहार का इतिहास रहा है कि कई वरिष्ठ लोगों की हत्याएं राजनीति महत्वाकांक्षाएं पूरी करने के लिए की गई हैं। जदयू इस समय अंदरूनी टकराव से जूझ रही है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के नेतृत्व में पार्टी का एक धड़ा पार्टी पर नियंत्रण को लेकर चुनाव आयोग जा चुका है। शरद और नीतीश के बीच भाजपा से हाथ मिलाने को लेकर मतभेद माना जाता है। इसके अलावा नीतीश कुमार ने लालू यादव की राजद से करीब 20 महीने पुराना गठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया तो लालू यादव से भी उनकी ठन गई है।
शायद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक कारणों से भी उनकी हत्या किए जाने की आशंका दिख रही है। हो सकता है कि इसके लिए शराब माफियाओं को हथियार के रूप इस्तेमाल किया जाए। शराब न केवल माफियाओं, बल्कि राजनेताओं, अफसरों और पुलिस की अवैध और काली कमाई का बड़ा जरिया रही है। शराब बंद होने से बिहार के गरीबों का परिवार तो उजडऩे से बच गया, लेकिन रसूखदारों की कमाई भी उजड़ गई है। नीतीश कुमार की आशंका को भी निर्मूल नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उनके प्रतिद्वंदियों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा में वह इस समय बड़ी बाधा है।
जदयू के महसचिव संजय झा ने कहा, मैं नीतीश से लंबे समय से जुड़ा रहा हूं और कमरे के अंदर और बाहर कई बैठकों में रहा हूं, लेकिन कभी उन्हें मौत के बारे में बात करते नहीं सुना। ऐसी बात करके नीतीश पार्टी कार्यकर्ताओं को याद दिलाना चाहता थे कि पार्टी के लिए उन्होंने कितनी मेहनत की है।
झा ने कहा कि नीतीश नहीं चाहते कि जदयू अपनी मूल विचारधारा से भटके। हालांकि जदयू के राज्य प्रमुख बीएन सिंह ने कहा कि पार्टी को अगले 10 साल तक नीतीश के उत्तराधिकारी की चिंता करनी की जरूरत नहीं है।