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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लगातार दो रेल हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर इस्तीफे की पेशकश की। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद प्रभु ने सिलसिलेवार ट्विट में दुर्घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए लिखा है कि इनमें यात्रियों के मारे जाने और घायल होने से वह क्षुब्ध हैं और इससे उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला और पूरी नैतिक जिम्मेदारी ली। प्रधानमंत्री ने मुझे इंतजार करने को कहा है।
प्रभु ने कहा कि तीन साल से भी कम समय में रेल मंत्री के तौर पर उन्होंने रेलवे की बेहतरी के लिए अपना खून पसीना बहाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सभी क्षेत्रों में व्यवस्थित सुधारों के जरिए दशकों से हो रही रेलवे की अवेहलना खत्म करने का प्रयास किया जिससे अभूतपूर्व निवेश हुआ और कई मुकाम हासिल किये गये। उन्होंने कहा कि रेलवे को प्रधानमंत्री की नए भारत की कल्पना के अनुरूप दक्ष और आधुनिक होना चाहिए। रेल मंत्री ने कहा , मैं भरोसा दिलाता हूं कि रेलवे अब इसी पथ पर अग्रसर है।
रेल मंत्री के इस्तीफे की पेशकश का घटनाक्रम चार दिनों के अंदर दो बड़ी रेल दुर्घटनाओं की पृष्ठभूमि में हुआ। शनिवार को हुए पहले हादसे में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हरिद्वार आ रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने के कारण 23 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। दूसरी दुर्घटना में आज तड़के उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में कैफियत एक्सप्रेस के 10 डिब्बे और इंजन पटरी से उतर गया जिससे 78 यात्री घायल हो गये। यह ट्रेन डंपर से टकराने के कारण पटरी से उतर गई। प्रभु की इस्तीफे की पेशकश के पहले से इस तरह की अटकलें लग रही हैं कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए के मित्तल ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।