Opinion

प्रधानमंत्री मोदी, GST से हुए कारोबारी नुकसान पर हमारी नजर, जरूरत पड़ी तो करेंगे बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने पहले दिन से ऐसे लोगों के विरुद्ध स्वच्छता अभियान चला रखा है जो ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करते है। मोदी ने यहां इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेकेट्रीज ऑफ इंडिया के स्वर्ण जयंती समारोह में कहा कि देश में भी मुट्ठीभर लोग ऐसे हैं, जो देश की प्रतिष्ठा को और हमारी ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करते रहे हैं। इन लोगों को पूरी प्रक्रिया और संस्थाओं से हटाने के लिए सरकार ने पहले दिन से ही स्वच्छता अभियान शुरू किया हुआ है।

इस दौरान पीएम मोदी ने अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा पर भी बिना नाम लिए जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की निराशा फैलाने की आदत होती है। निराशा फैलाने वालों की पहचान करना बेहद जरूरी है। मोदी ने कहा कि उन्होंने जीएसटी काऊंसिल को रिव्यू के लिए कहा है और जरूरत पड़ी तो सुझावों के आधार पर बदलाव करेंगे। कारोबार को हुए नुकसान पर नजर है। उन्होंने कहा कि यह सरकार के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि आज देश की अर्थव्यवस्था कम नकदी के साथ चल रही है। नोटबंदी के बाद नकदी का सकल घरेलू उत्पाद में अनुपात नौ प्रतिशत पर आ गया है।

आठ नवंबर 2016 से पहले यह 12 प्रतिशत से ज्यादा था। मोदी ने कहा, “मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा उठाये गये कदम देश को आने वाले वर्षों में विकास की एक नई श्रेणी में रखने वाले हैं। हमने सुधारों से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिये हैं और यह प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। देश की वित्तीय स्थिरता को भी बनाये रखा जायेगा। निवेश बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए हम हर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।” उन्होंने कहा कि देश की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में अब ईमानदारी को “प्रीमियम” मिलेगा और ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जायेगी।

उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 7.5 प्रतिशत की औसत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी की विकास दर में कमी दर्ज की गई, लेकिन सरकार इसे बदलने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। आर्थिक विकास दर गिरने की हाल में हो रही तमाम आलोचनाओं का करारा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों के छह साल में आठ बार ऐसे मौके आये जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी।

देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसी तिमाहियां भी देखी हैं, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत तक गिरी है। उन्होंने कहा कि ऐसी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए और ज्यादा खतरनाक थी, क्योंकि इन वर्षों में भारत उच्च मुद्रास्फीति, उच्च चालू खाता घाटे और उच्च राजकोषीय घाटे से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन सालों में नवीनीकरणीय ऊर्जा पर चार हजार करोड़ रुपये खर्च किये थे। मौजूदा सरकार ने अपने तीन साल में इस क्षेत्र पर 10 हजार 600 करोड़ रुपये से भी अधिक खर्च किए हैं।

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