कला को बढ़ावा देने के काम में सक्रिय संस्था सोसायटी फॉर अपलिफ्टमेंट्स ऑफ द नेशनल आट्र्स ऑफ इंडिया (सुनयना) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में 8 नवंबर से कला एवं शास्त्रीय व लोक नृत्यों का 6 दिनी महोत्सव ’10वां इंद्रधनुष दिल्ली’ का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के सातों विधाओं के देश-विदेश के करीब 1000 युवा एवं बाल कलाकार हिस्सा लेंगे।
संस्कृति मंत्रालय एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से होने वाले ’10वें इंद्रधनुष दिल्ली’ महोत्सव का आयोजन 8 से 13 नवंबर के दौरान दिल्ली के चार विभिन्न जगहों- दिल्ली कर्नाटका संघ, लोक कला मंच, दिल्ली तमिल संगम और विश्व युवक केंद्र में किया जाएगा। महोत्सव में नृत्य के प्रसिद्ध कलाकारों में पंडित बिरजू महराज, शोभना नारायण, सोनल मानसिंह और गीता चंद्रन शामिल होंगे।इस महोत्सव का एक विशेष आकर्षण बाल कला उत्सव है। इस आयोजन के लिए पूरे देश के प्रतिभाशाली बच्चों को आमंत्रित किया गया है। बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं, कार्यशालाओं और सेमिनारों में भाग लेने का मौका मिलेगा। इस महोत्सव के दौरान कथक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी, ओडिसी, लोकनृत्य, सेमी क्लासिकल, बॉलीवुड, हिंदुस्तानी गायन, कर्नाटक गायन, हल्के-फुल्के फिल्मी गायन, शास्त्रीय वाद्य यंत्र, वन एक्ट ड्रामा, मोनो एक्ट ड्रामा, पेंटिंग और रंगोली में प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। भारतभर से सैकड़ों बच्चे दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर भारतीय कला में अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन करेंगे। इस वर्ष सुनयना, दिल्ली कल्याण समिति, एसपीओडब्ल्यूसी और दिल्ली तमिल संगम की साझेदारी में यह आयोजन किया जा रहा है।
सुनयना के संस्थापक अध्यक्ष गुरु कनक सुधाकर ने बताया, “यह आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है, जब सुनयना की 23वीं वर्षगाठ भी मनाई जा रही है। हम बच्चों एवं युवओं के उत्सवों को एक साथ मिलाकर एक भव्य उत्सव ‘इंद्रधनुष दिल्ली 2017 कला महोत्सव’ का आयोजन कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “इस बार का उत्सव पिछले उत्सवों से कुछ अलग होगा, क्योंकि इसमें विकलांग बच्चों की अलग-अलग प्रतिभाओं को भी शामिल किया जा रहा है और उनके भारतीय नृत्य, संगीत और कला की प्रतिभा को प्रदर्शित भी किया जाएगा।”
महोत्सव के दौरान सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा, जिसका विषय ‘नृत्य और संगीत की पारंपरिक कला से मन और शरीर को ताजगी’ है। यह विषय इस तथ्य को साबित करता है कि कला के ये रूप वास्तव में जीवनदायिनी कला रूपों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि छह दिन के कला महोत्सव में देश की समृद्ध संस्कृति के सभी पहलुओं को प्रदर्शित किया जाएगा।