Business Economy

इंफोसिस का भविष्य

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प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस के चेयरमैन आर. शेषासयी ने कहा कि कंपनी अपने संस्थापकों और प्रवर्तकों के सुझावों को गंभीरता से लेती है। कंपनी एन. नारायणमूर्ति समेत अन्य सह-संस्थापकों के साथ सलाह-मशविरा करती रहती है।



शेषासयी ने यहां इंफोसिस की 36वीं सालाना आम बैठक (एजीएम) में कहा कि कंपनी का निदेशक मंडल सभी बड़े निवेशकों विशेषकर कंपनी के संस्थापकों के साथ लगातार संपर्क में रहता है। वह आगे भी ऐसा करना जारी रखेगा।

उन्होंने कहा कि अगले साल उनकी सेवानिवृत्ति से पहले यह उनकी अंतिम एजीएम होगी। वे अगले साल मई में सेवानिवृत्त होंगे और चाहते हैं कि तब तक उनका उत्तराधिकारी कार्यभार संभाल ले। उन्होंने कंपनी संस्थापक, अपने सहयोगियों को यह अवसर देने के लिए आभार व्यक्त किया।



गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में मीडिया में कंपनी के संस्थापकों और निदेशक मंडल के बीच तनाव की खबरें सुर्खियां बनी रहीं। इसके पीछे अहम कारण दोनों पक्षों के बीच कंपनी के कार्य परिचालन की प्रक्रिया को लेकर मतभेद होना था।

उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में अपने शेयरधारकों को [8377]13,000 करोड़ की पूंजी आवंटन योजना के लिए उचित वितरण प्रणाली को अंतिम रूप देने में लगी है। कंपनी ने 13 अप्रैल 2017 को पूंजी आवंटन नीति की घोषणा की थी और वह इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शेषासयी ने कहा कि कंपनी सतत व सुरक्षित भविष्य के लिए तीन बड़े बदलाव ला रही है जिनमें सांस्कृतिक बदलाव भी शामिल हैं।

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सिक्का का इस्तीफा: नारायण मूर्ति और इंफोसिस बोर्ड आमने-सामने

देश की सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दूसरी बड़ी कंपनी इंफोसिस लिमिटेड के संस्थापक नारायण मूर्ति और कंपनी के निदेशक मंडल के बीच लंबे समय से चल रहा टकराव आज खुलकर सामने आ गया। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विशाल सिक्का ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसके लिए मूर्ति को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर आरोपों की झड़ी लगा दी। सिक्का के तुरंत प्रभाव से दिए गए इस्तीफे को निदेशक मंडल ने आज सुबह हुई बैठक में स्वीकृति दे दी और यू.बी. प्रवीण राव को अंतरिम प्रबंध निदेशक और सीईओ नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा सिक्का को अब कंपनी का कार्यकारी उपाध्यक्ष बना दिया गया है।

कंपनी ने अलग से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया है कि सिक्का के इस्तीफे का मुख्य कारण मूर्ति द्वारा निदेशक मंडल और कंपनी प्रबंधन पर लगातार किए जा रहे हमले और उनका मीडिया में जारी किया गया हालिया पत्र है। उसने कंपनी के संस्थापक के आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि उनके पत्र में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं तथा ऐसे अफवाह शामिल हैं जिनका कंपनी पहले ही खंडन कर चुकी है। पत्र में यह भी कहा गया है कि कंपनी के कॉर्पोरेट प्रशासन का स्तर गिरता जा रहा है। निदेशक मंडल ने सभी शेयरधारकों, कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और आम लोगों से मूर्ति द्वारा किए जा रहे झूठे प्रचार पर ध्यान नहीं देने का आग्रह किया है और कहा है कि कंपनी हमेशा उच्चतम अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट प्रशासन का पालन करती रहेगी।



एक समय भारतीय आईटी की सफलता की कहानी को बखूबी बयां करने वाली इंफोसिस हाल में निदेशक मंडल और संस्थापकों के बीच बढ़ती1 कटुता से प्रभावित रही है। संस्थापकों ने कार्यकारियों के वेतन तथा अधिग्रहण जैसे मुद्दों पर कंपनी के खराब कामकाज का आरोप लगाया। इंफोसिस के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में सिक्का ने कहा, लगातार बाधा और व्यवधान उत्पन्न किए गए जो बाद में बढ़ता हुआ व्यक्तिगत और नकारात्मक हो गया। इसके कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

किसी का नाम लिये बिना उन्होंने कहा, पिछली कई तिमाहियों से झूठे, आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमले किए गए और ये आरोप कई स्वतंत्र जांचकर्ताओं द्वारा बार-बार झूठे साबित हुए। उन्होंने कहा, लेकिन इसके बावजूद हमले जारी रहे और बदतर होते गए बहुत से उन लोगों ने इसे बढ़ाया जिनसे हम सभी इस बदलाव में सर्वाधिक समर्थन की उम्मीद करते हैं।

मूर्ति तथा अन्य ने सिक्का को दिए गए उच्च वेतन को लेकर सवाल उठाए साथ ही कुछ पूर्व कार्यकारियों को अलग होने से संबद्ध पैकेज को लेकर भी सवाल खड़े किए गए। साथ ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड तथा यूएस सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को गुमनाम पत्र भेजे गये। इस पत्र में आरोप लगाया गया कि इस्राइल स्थित पनाया का अधिग्रहण का मूल्य अधिक था और इंफोसिस के कुछ कार्यकारियों को इस सौदे ये लाभ हो सकता है।

हालांकि मामले में स्वतंत्र जांच में निदेशक मंडल को दोष मुक्त करार दिया गया लेकिन मूर्ति ने पूरी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का दबाव बनाया। सिक्का ने कहा कि इस प्रकार के शोरगुल के समाधान में उनके सैकड़ों घंटे बर्बाद हुए और इसीलिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया।
इंफोसिस के निदेशक मंडल ने कहा कि वह प्रबंधन टीम के सदस्यों पर निराधार व्यक्तिगत हमलों से काफी व्यथित है।

कंपनी ने एक बयान में कहा, निदेशक मंडल उन आलोचकों की निंदा करता है जिन्होंने झूठे आरोपों को बढ़ावा देने का काम किया। इससे कर्मचारियों के मनोबल को नुकसान पहुंचा और कंपनी के मूल्यवान सीईओ को जाना पड़ा। निदेशक मंडल ने कहा कंपनी और निदेशक मंडल के खिलाफ मूर्ति के दुष्प्रचार से कंपनी के कायाकल्प के प्रयासों पर नकारात्मक असर हो रहा है। एक साल से ज्यादा समय से निदेशक मंडल मूर्ति के साथ बातचीत के जरिए मतभेदों को दूर करने की कोशिश कर रहा है जिससे कानून के दायरे में कोई समाधान निकाला जा सके और कंपनी की स्वायत्तता भी अक्षुण्ण रहे। लेकिन, दुर्भाग्यवश बातचीत के जरिए समाधान निकालने के प्रयास विफल रहे।

निदेशक मंडल ने कहा है कि वह इस सबके पीछे मूर्ति की मंशा को लेकर कोई अनुमान नहीं लगाना चाहता। उसने इस पत्र में एक-एक कर संस्थापक के आरोपों का खंडन किया है और सिक्का के कार्यकाल के दौरान कंपनी के अच्छे प्रदर्शन का विवरण दिया है। निदेशक मंडल ने स्पष्ट किया है कि कंपनी प्रबंध पूरी तरह सिक्का के साथ है। सिक्का को अगस्त 2014 में उस समय कंपनी का प्रबंध निदेशक एवं सीईओ बनाया गया था जब कंपनी बुरे दौर से गुजर रही थी।

निदेशक मंडल ने बताया कि इन तीन साल में कंपनी के प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार हुआ है। 30 जून 2015 को समाप्त तिमाही में कंपनी का राजस्व 2.13 अरब डॉलर था जो 30 जून 2017 को समाप्त तिमाही में बढक़र 2.65 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उसका लाभ प्रतिशत 24.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है जो लगभग सभी आईटी कंपनियों से अधिक है। इस बीच सिक्का ने भी कर्मचारियों के नाम एक खुले पत्र में लिखा है काफी सोच-विचार के बाद मैंने प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया है जो आज से प्रभावी है।

मैं निदेशक मंडल और प्रबंधन के साथ मिलकर अगले कुछ महीने तक काम करता रहूंगा ताकि उत्तराधिकार हस्तांतरण का काम सहज हो सके। जब तक नया प्रबंधन अस्तित्व में आता है मैंने निदेशक मंडल में उपाध्यक्ष के रूप में काम करते रहने के लिए हामी भर दी है। उन्होंने कहा कि प्रवीण को अंतरिम प्रबंध निदेशक एवं सीईओ बनाने के साथ ही उत्तराधिकारी ढूंढने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सिक्का ने कहा कि वह कई सप्ताह से इस फैसले के बारे में सोच रहे थे। उन्होंने कहा, पिछले कुछ माह के माहौल को देखने और काफी सोचने के बाद मेरे मन में अपने फैसले को लेकर कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट था कि कंपनी की पिछले तीन साल की उपलब्धियों के बावजूद वह सीईओ के रूप में अपना काम जारी नहीं रख सकते थे। लगातार आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण आरोपों का खंडन करना और कंपनी के मूल्यवद्र्धन के काम एक साथ नहीं हो सकते थे।

यूथ दर्पण सदस्य 

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