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शिया बोर्ड चेयरमैन, ताजमहल पूजा की निशानी नहीं, ज्यादातर मुगल थे

बीजेपी नेता संगीत सोम द्वारा ताजमहल पर दिए बयान को लेकर मचे बवाल के बीच अब उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन भी कूद पड़े हैं। चैयरमैन सईद वसीम रिजवी ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा है कि यह ऐतिहासिक स्थल ‘पूजा’ का प्रतीक नहीं हो सकता। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर मुगल ‘अय्याश’ थे।  रिजवी ने कहा, ‘ताजमहल प्यार की निशानी हो सकती है, लेकिन पूजा की नहीं। एक-दो मुगलों को छोड़ दें तो ज्यादातर मुगल अय्याश थे।’ यूपी सरकार द्वारा अयोध्या में भगवान राम की 100 मीटर ऊंची प्रतिमा बनाने के प्रस्ताव की हो रही आलोचना पर कहा, ‘मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह मुद्दा ही क्यों है। जब मायावती ने अपनी खुद की प्रतिमा बनवाई तो किसी ने विरोध नहीं किया। तो फिर राम की प्रतिमा बनाने के प्रस्ताव पर विरोध क्यों हो रहा है?’ उन्होंने कहा कि राम की प्रतिमा का निर्माण एक अच्छा कदम होगा क्योंकि अयोध्या हिंदुओं की आस्था का केंद्र है।

गौरतलब है कि सोमवार को बीजेपी नेता संगीत सोम ने कहा था कि गद्दारों के बनाए ताजमहल को इतिहास में जगह नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ऐतिहासिक स्थलों में से ताजमहल का नाम हटाने से कई लोगों को दुख हुआ। किस तरह का इतिहास? इतिहास में क्या है इसकी जगह? किसका इतिहास? ऐसे व्यक्ति का इतिहास जो हिंदुओं का उत्तर प्रदेश और पूरे भारत से सफाया करना चाहता था।’ सोम के इस बयान के बात राजनीतिक बखेड़ा मच गया था। AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा था कि क्या पीएम लाल किला से तिरंगा फहराना छोड़ देंगे… क्योंकि वह भी तो गद्दारों द्वारा ही बनवाया गया था। इस बीच सोम के बयान के एक दिन बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह कोई मायने नहीं रखता कि इसे (ताज महल) किसने बनाया। यह भारतीयों के खून और पसीने से बना है।’

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