दो वर्ष से जिला कारागार में बंद पत्नी के हत्यारोपी ने देर रात फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। बंदी के परिजनों ने जेल प्रशासन को मौत का जिम्मेदार ठहराया है और मेडिकल थाने में जेल प्रशासन के खिलाफ तहरीर दी है। पुलिस जांच के बाद कार्रवाई की बात कर रही है।
एसओ मेडिकल सतीश कुमार ने बताया कि परीक्षितगढ़ के सोना गांव का निवासी सोमेन्द्र पुत्र भूले, पिछले दो वर्ष से चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद था। उस पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप था। उसके खिलाफ धारा 302 और 201 के तहत केस चल रहा था। शनिवार की देर रात सोमेन्द्र ने जेल के बाथरुम में अपनी गर्म चादर से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना की जानकारी मिलने पर मेडिकल पुलिस जेल पहुंची। बंदी के शव को फंदे से उतारकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। बताते हैं कि जमानत नहीं मिलने से सोमेन्द्र काफी परेशान था। जिसके चलते उसने अपनी जान दे दी। जेल प्रशासन की तरफ से मेडिकल थाने में सोमेन्द्र के खुद जान देने की तहरीर दी गई है।
दूसरी तरफ सोमेंद्र के परिजनों ने जेल प्रशासन को मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए पोस्टमॉर्टम हाउस पर हंगामा किया और जेल प्रशासन के खिलाफ थाने में तहरीर दी है। सोमेन्द्र की मौत के बाद मृतक के भाई धर्मवीर और भांजे प्रमोद ने सोमेन्द्र की मौत के लिए चौधरी चरण सिंह जिला कारागार के स्टाफ और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने आरोप लगाया कि दो वर्ष से जेल में सोमेन्द्र का उत्पीड़न किया जा रहा था। कभी गिनती काटने के नाम पर तो कभी किसी अन्य बहाने से जेल के कर्मचारी सोमेन्द्र से रकम मांगते थे। रकम न देने पर उसकी ड्यूटी शौचालयों में लगाकर गंदगी साफ कराई जाती थी। उन्होंने सोमेन्द्र पर लगे उसकी पत्नी की हत्या के आरोपों को भी झूठा बताया। उन्होंने कहा कि सोमेन्द्र के जेल जाने के बाद उसकी अंधी मां उसके छोटे बच्चों का पेट पाल रही थी। मृतक के भाई धर्मवीर ने सोमेन्द्र को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए जेल प्रशासन के खिलाफ तहरीर दी है।
नवभारत टाइम्स।