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Nonviolence is path to which a healthy society can be created: Vice President

Addresses Ahimsa Diwas Function

The Vice President of India, Shri M. Venkaiah Naidu has said that nonviolence is the path to which a healthy society can be created. He was addressing the Ahimsa Diwas Function organized by Ahimsa Vishwa Bharti on its 13th Foundation Day, in New Delhi today. The Founder of Ahimsa Vishwa Bharti, Acharya Dr. Lokesh Muni and other dignitaries were present on the occasion.

The Vice President said that establishing nonviolence, peace and goodwill in society, nation and all over the world has been the purpose behind the establishment of Vishwa Bharti Institute. He further said that by associating religion with social service, we can make it a means of eradicating social evils and linking religion to spirituality.

The Vice Presidnet said that there is a need for peace and a harmonious environment in the society for development. He further said that nonviolence is also important because violence does not solve any problem and violence leads to repetition of violence. Through dialogue, every problem can be solved through nonviolent style, by negotiation, he added.

The Vice President said that many great men in our country like Lord Mahavir, Lord Buddha gave a lot of emphasis on nonviolence. He further said that Mahatma Gandhi had liberated India with the weapons of nonviolence. Nonviolence does not mean cowardice, he added.

The Vice President said that Indian culture is pluralistic and unity in diversity is its fundamental characteristic. Sarvadharm harmony is its original mantra and this is where the nonviolence, peace and goodwill start, he added.

The Vice President expressed his hope that the Ahimsa Vishva Bharti Institution will play an important role in building society and nation building by connecting the work of service in the society, especially by connecting the younger generation to the path of nonviolence.

Following is the text of Vice President’s address in Hindi:

“परम पूज्य आचार्य डॉ. लोकेश मुनि जी, श्री रजत शर्मा जी, श्रीमती किरण चोपड़ा जी, डॉ. अजीत गुप्ता जी, श्री मनीष शाह जी, उपस्थित बंधुओं एवं बहिनों।

आज अहिंसा विश्व भारती संस्था की स्थापना के गौरवशाली बारह वर्ष पूर्ण होने पर स्थापना दिवस (Foundation Day) “अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है। यह सभी के लिए हर्ष का विषय है। भारतीय परंपरा में 12 वर्ष का विशिष्ठ महत्व है। सनातन परंपरा में 12 वर्ष में महाकुम्भ का आयोजन होता है। जैन परंपरा में श्रमण बेलगोला में 12 वर्ष में महा मस्तकाभिषेक का आयोजन होता है। कालचक्र के अनुसार 12 वर्षों का काल खंड एक युग कहलाता है, उस दृष्टि से अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वितीय युग में प्रवेश कर रही है। मैं इस अवसर पर संस्था के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेश मुनि जी को व आप सभी कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देता हूं।

अहिंसा विश्व भारती संस्था की स्थापना के पीछे विशेष उद्देश्य रहा है। समाज, राष्ट्र व पूरे विश्व में अहिंसा, शांति व सद्भावना की स्थापना करना। धर्म को समाज सेवा से जोड़कर, उसे सामाजिक बुराईयों के मिटाने का माध्यम बनाना तथा धर्म को अध्यात्म से जोड़ना। आचार्य डॉ. लोकेश मुनि जी ने इन 12 वर्षों में मानवीय मूल्यों के उत्थान के लिए, नैतिक व चारित्रिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए, देश व दुनिया में घूम-घूम कर जो प्रयास किया है, वह उल्लेखनीय है, सराहनीय है। यही कारण है कि इसी विज्ञान भवन में भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2010 के राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया। संयोग से उस राष्ट्रीय पुरस्कार की चयन समिति के अध्यक्ष उपराष्ट्रपति होते हैं। आज उसी विज्ञान भवन में एक बार पुन: मैं उनके मानव कल्याणकारी कार्यों के लिए अभिनंदन करता हूं।

बंधुओं आज अहिंसा दिवस समारोह का आयोजन इसीलिए महत्वपूर्ण है कि अहिंसा के अभाव में समाज में शांति व सद्भावना नहीं हो सकती। हमारे देश के प्रधानमंत्री विकास पर बल देते हैं। विकास के लिए समाज में शांति व सद्भावनापूर्ण वातावरण की जरूरत होती है। अहिंसा दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं होता है। हिंसा प्रतिहिंसा को जन्म देती है। संवाद के द्वारा, वार्ता के द्वारा, अहिंसात्मक शैली से हर समस्या को सुलझाया जा सकता है। यही कारण है कि पिछले दिनों भारत सरकार ने कश्मीर में शांति व अमन के लिए संवाद को माध्यम बनाने की घोषणा की।

हमारे देश में अनेक महापुरुषों ने भगवान महावीर, भगवान बुद्ध ने अहिंसा पर बहुत बल दिया। महात्मा गांधी ने अहिंसा के अस्त्र से भारत को आजाद कराया था। अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं है। अहिंसा ही वह मार्ग है जिस पर चलकर स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है। अहिंसा के मार्ग से ही विश्व शांति व विश्‍व का कल्याण संभव है।

भारतीय संस्कृति बहुलतावादी संस्कृति है। अनेकता में एकता उसकी मौलिक विशेषता है। सर्वधर्म सद्भाव इसका मूल मंत्र है। यहीं से अहिंसा, शांति और सद्भावना का शुभारंभ होता है। हम सभी विकास चाहते हैं, समृद्धि चाहते हैं। सामाजिक जीवन में शांति, बंधुत्व, प्रेम, अहिंसा एवं समतामूलक विकास के पक्षधर हैं। विकास व शांति का गहरा संबंध है। धर्मगुरु, राजनेता व समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख जब एक मंच से अहिंसा, शांति व सद्भावना का संदेश देंगे तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव होगा।

जिस प्रकार आचार्य लोकेश के मार्गदर्शन में अहिंसा विश्व भारती संस्था भारत में ही नहीं अपितु विश्व में अहिंसा, शांति एवं सद्भावना की स्थापना, मानवीय मूल्यों के उत्थान, राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। संस्था समाज में नशाखोरी, कन्याभ्रूण हत्या, पर्यावरण प्रदूषण आदि सामाजिक बुराइयों के विरोध में राष्ट्रव्यापी आन्दोलन चला रही है उसकी जितनी सराहना की जाये वो कम है।

मुझे आशा है कि अहिंसा विश्व भारती संस्था इस द्वितीय युग में इसी तरह समाज में सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए खासकर युवा पीढ़ी को अहिंसा के मार्ग से जोड़कर समाज व राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। एक बार पुन: अहिंसा विश्व भारती से जुड़े आप सभी कार्यकर्ताओं को स्थापना दिवस पर बहुत-बहुत बधाई।

जय हिन्द!”

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