6 उच्च शिक्षा संस्थायनों के लिए उच्च शिक्षा निधियन एजेंसी (एचईएफए) ने 2066.73 करोड़ रूपये की परियोजनाएं स्वीककृत की |
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अनुसंधान तथा सम्बद्ध अवसंरचना के लिए अतिरिक्त धनराशि प्रदान करने हेतु उच्च शिक्षा निधियन एजेंसी (एचईएफए) ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। एचईएफए बोर्ड ने आज अपनी दूसरी बैठक आयोजित की और 6 संस्थानों – आईआईटी, बम्बई, मद्रास, खडगपुर, कानपुर तथा एनआईटी सूरतकल के लिए 2066.73 करोड़ रूपये की परियोजनाएं स्वीकृत कीं। इन निधियों का प्रयोग इन संस्थानों के अनुसंधान अवसंरचना में सुधार के लिए किया जाएगा ताकि ये विश्व स्तर पर अपनी स्थिति में और सुधार ला सकें।
एचईएफए बोर्ड ने 6 संस्थानों के लिए 2066.73 करोड़ रूपये की परियोजनाओं की स्वीकृति नीचे दिये गये विवरण के अनुसार दी है
ये संस्थान इन निधियों का उपयोग परियोजना की प्रगति के अनुसार कर सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं। एचईएफए के अधीन ये निधियां इन संस्थानों को दी जा रही अनुदान के अतिरिक्त होंगी। एचईएफए बोर्ड द्वारा ब्याज मुक्त ऋण स्वीकृत करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि अनुसंधान तथा नवप्रवर्तन की आवश्यकताओं और बढ़ोत्तरी के लिए बजटीय आबंटन के अतिरिक्त निधियों की व्यवस्था के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। केन्द्रीय बजट में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए पर्याप्त आबंटन और अनुदान की व्यवस्था की जाती है परंतु फिर भी और अधिक की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन तथा वित्त मंत्री अरूण जेटली के संकल्प से एचईएफए द्वारा बजटीय आबंटन से अधिक धनराशि उपलब्ध कराना संभव हो पाया है। ये निधियां सरकार द्वारा इन संस्थानों को दिये जाने वाले अनुदान के अतिरिक्त हैं। योजना के अनुसार एचईएफए 20000 करोड़ रूपये बाजार उधारी से जुटायेगा और उसे सरकारी संस्थानों को ब्याज मुक्त ऋणों के रूप में जारी कर देगा। एचईएफए उच्च शिक्षण संस्थाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त धन जुटाने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के कारण अस्तित्व में आया था। एचईएफए के सृजन की मंशा 2016-17 के बजट भाषण में सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि ‘’हमने उच्च शिक्षा निधियन एजेंसी (एचईएफए) की स्थापना का विनिश्चय किया है जिसकी प्रारंभिक पूंजी आधार 1000 करोड़ रूपये की होगी। एचईएफए लाभकारी संगठन नहीं होगा, ये बाजार से धन जुटायेगा और अनुदानों तथा सीएसआर निधियों से उसको पूरा करेगा। इन निधियों का उपयोग हमारे शीर्ष संस्थानों में अवसंरचना को धन की उपलब्धता बढ़ाने और आंतरिक संग्रहण के माध्यम से काम में लाने के लिए किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितम्बर 2016 को एचईएफए की स्थापना की स्वीकृति दी है। एचईएफए के परिचालन के तौर तरीके एचईएफए प्राथमिक संस्थानों के निधियन का नया तरीका है जिसमें ‘’भावी प्रवाहों की जांच’’ के कारक का उपयोग किया जाएगा। इसके अंतर्गत प्रत्येक संस्थान अपने आंतरिक संसाधनों से जुटाई गई (सरकारी अनुदान से नहीं) विशिष्ट राशि एचईएफए को एस्क्रो करने के लिए सहमत है। ये क्रेडिट लाइन का आधार बनेगा जिसका उपयोग संस्थान अपेक्षित पूंजी और अनुसंधान सम्पत्तियां सृजित करने में कर सकेगा। मूल हिस्से का भुगतान एस्क्रो राशि से किया जाएगा और ब्याज की राशि सरकार देगी। संस्थान के लिए ये ब्याज मुक्त राशि है और इससे संस्थान को विश्व स्तर की अपेक्षित अनुसंधान अवसंरचना के निर्माण करने की सुविधा होगी। एचईएफए का परिचालन एचईएफए को कंपनी अधिनियम के अंतर्गत खंड 8 कंपनी के रूप में 31 मई 2017 को पंजीकृत किया गया था। कंपनी स्थापित करने के लिए हिस्सेदार के रूप में कैनरा बैंक का चयन किया गया है। सरकार ने 250 करोड़ की इक्विटी जारी की है तथा कैनरा बैंक ने एचईएफए में 50 करोड़ की इक्विटी दी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने एचईएफए के लिए 21 नवम्बर 2017 को एनबीएफसी के परिचालन के लिए तथा संस्थानों की जरूरतों के अनुरूप बाजार से धन जुटाने के लिए इक्विटी का लाभ लेने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस दिया है। बोर्ड का गठन किया जा चुका है और इसकी पहली बैठक सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में 12 जून 2017 को आयोजित की गई थी। Credit: PIB. |