‘आरएनआई रिपोर्ट’ प्रिंट मीडिया का एक महत्वपूर्ण संकेतक : स्मृति जुबिन इरानी |
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प्रेस इन इंडिया रिपोर्ट सूचना एवं प्रसारण मंत्री को प्रस्तुत की गई पंजीकृत प्रकाशनों ने 3.58 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कराई 2016-17 के दौरान 4007 नए प्रकाशनों का पंजीकरण किया गया उत्तर प्रदेश पंजीकृत प्रकाशनों की सबसे बड़ी संख्या की सूची में शीर्ष स्थान पर प्रधान महानिदेशक श्री गणेशन ने आज यहां केंद्रीय कपड़ा तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी को भारत के समाचार पत्र पंजीयक (आरएनआई) का वार्षिक प्रकाशन ‘प्रेस इन इंडिया 2016-17’ प्रस्तुत किया। इस अवसर पर श्रीमती इरानी ने कहा कि यह प्रकाशन पिछले वर्ष एक वर्ष के दौरान भारतीय समाचार पत्र उद्योग की प्रगति की रूपरेखा प्रस्तुत करने से संबंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह रिपोर्ट विशेष रूप से, क्षेत्रीय भाषा के प्रकाशनों के बीच उद्योग के विकास की रूपरेखा का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के डिजिटल युग में इस रिपोर्ट का बुनियादी महत्व है और यह छात्र समुदाय के लिए भी काफी लाभदायक है। उन्होंने इस रिपोर्ट को डिजिटल रूप से जारी करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि रिपोर्ट में प्रस्तुत डाटा का वर्गीकरण विभिन्न प्रकारों से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं के प्रकाशनों पर डाटा का विश्लेषण इसके विकास और प्रसार के लिए किया जाना चाहिए। इस वर्ष की रिपोर्ट की मुख्य बातों में शामिल हैं – 2016-17 के दौरान 4007 नए प्रकाशनों का पंजीकरण किया गया, पंजीकृत प्रकाशनों ने 3.58 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कराई, उत्तर प्रदेश पंजीकृत प्रकाशनों की सबसे बड़ी संख्या की सूची में शीर्ष स्थान पर है, जिसके बाद महाराष्ट्र का स्थान है। भारतीय भाषाओं में हिंदी में पंजीकृत प्रकाशनों की सबसे अधिक संख्या है जिसके बाद अंग्रेजी का स्थान आता है। पृष्ठभूमि : आरएनआई प्रत्येक वर्ष 31 दिसंबर या उससे पहले सरकार को एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पीआरबी अधिनियम, 1867 के खंड 19 (जी) के तहत अधिदेशित है। यह रिपोर्ट आरएनआई के पास उपलब्ध आंकड़ों तथा वित्त वर्ष 2016-17 के लिए देशभर के प्रकाशनों द्वारा ऑनलाइन तरीके से प्रस्तुत वार्षिक विवरणों का एक संकलन है। 2016-17 में भारतीय प्रेस की मुख्य बातें (31 मार्च, 2017 तक)
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