उपराष्ट्रपति ने विश्व अंतरिक्ष सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का टीम वर्क और कार्य परिणाम अन्य विभागों और संस्थाओं के लिए आदर्श है। उपराष्ट्रपति आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में विश्व अंतरिक्ष सप्ताह कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री ई.एस.एल.नरसिह्म तथा इसरो के अध्यक्ष श्री कृष्णकुमार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की शक्ति को देखकर गर्व होता है क्योंकि अंतरिक्ष खोज के क्षेत्र में हमने नई उपलब्धियां हासिल की हैं। यह दोहरी प्रसन्नता की बात है कि रॉकेट प्रक्षेपनों का अंतरराष्ट्रीय ख्याति का स्थल उनके पैतृक जिला नेल्लोर में है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यूरोपीय लोगों से हजारों वर्ष पहले भारत के लोगों का शून्य का ज्ञान था। उन्होंने कहा कि थुम्बा इक्वेटोरियल, रॉकेट लांच स्टेशन (टीआरएलएस) द्वारा 1963 में रॉकेट लांच करने और 1975 में प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट लांच किए जाने के बाद से भारत ने लम्बी छलांग लगाई है और भारत आज प्रोफेसर विक्रम साराभाई, प्रोफेसर सतीश धवन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे दूरदर्शी लोगों के नेतृत्व में अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी देश बन गया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक ही प्रयास में 104 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने और 3,136 किलो ग्राम का सबसे भारी भारतीय उपग्रह जीसेट-19 को इस वर्ष कक्षा में स्थापित करने के साथ भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों ने न केवल भारत को गौरवान्वित किया है, बल्कि विश्व को भारत के उपलब्धियों के प्रति विश्व को आकर्षित भी किया है। यह केवल प्रौद्योगिकी प्रगति का प्रश्न नहीं है, बल्कि कम लागत में सफलतापूर्वक एक के बाद एक उपग्रह भेजना प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव की बात है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उपग्रह लांच करने का यह केंद्र विश्व का व्यस्ततम केंद्र है और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ विश्व की आवश्यकताओं को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि इसरो की सभी गतिविधियों का केंद्र समाज है। इसरो विश्व का सर्वाधिक ख्याति प्राप्त और अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसी है और युवा वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत है।