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मोदी के मंत्री ने लालू के साथ की गोपनीय बैठक

राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता है। कब कौन किसके साथ होगा और कौन साथ छोड़ देगा कहना मुश्किल है। बिहार में नीतीश के पाला बदलने की बात अभी खत्म भी नहीं हुई कि दो राजनीतिक दलों आरजेडी और आरएलएसपी के मुखिया की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है।

आरएलएसपी भाजपा नीत एनडीए का हिस्सा है और उपेंद्र कुशवाहा नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में आरएलएसपी भाजपा की साझीदार थी। लालू प्रसाद यादव और उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को मुलाकात की। आरजेडी के एक नेता ने बताया कि दोनों नेताओं ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव से जुड़ी संभावनाओं पर चर्चा की। हालांकि किसी भी नेता ने अभी तक इस मुलाकात पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है।

इसी साल अगस्त में जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लिया था, जबकि 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। इन दलों का गठबंधन करीब 20 महीने बाद ही टूट गया। भाजपा को बिहार में पुराना जोड़ीदार भले वापस मिल गया हो, लेकिन नीतीश की एनडीए वापसी के साथ ही इससे उपेंद्र कुशवाहा के नाराज होने की चर्चा होने लगी थी। माना जाता है कि कुशवाहा नीतीश को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते हैं और उनके साथ नहीं रहना चाहते।

आरएलएसपी नेता नागमणि ने दो दिन पहले ही ये कहकर बिहार की सियासत में बदलाव के संकेत दिए कि कुशवाहा को बिहार का अगला मुख्यमंत्री होना चाहिए। माना जा रहा है कि कुशवाहा लालू यादव से मिलकर ऐसी संभावनाओं को टटोल रहे थे। चर्चा है कि अगर आरजेडी और कांग्रेस कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार का चुनाव लडऩे को तैयार हो जाएं एनडीए में टूट पडऩी बहुत मुश्किल नहीं होगी।

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