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हिन्दुओं की हत्या

म्यांमार के स्टेट काउंसलर इन्फॉर्मेशन ऑफिस द्वारा दी गई जानकारी अनुसार 25 अगस्त 2017 को रोहिंग्या मुसलमानों ने हिन्दुओं के गांव पर हमला कर 100 हिन्दुओं को अगवा कर लिया जिनमें से 92 की हत्या कर दी और बचे आठ का धर्म परिवर्तन करा दिया गया। रोहिंग्या म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्र, जो रेखाइन प्रांत में आता है, वहीं रहते हैं और वहां अलग राज्य की मांग को लेकर आंतक की राह पर चले हुए हैं। पिछले दिनों में उन्होंने म्यांमार की सेना पर जब हमला किया बौद्ध और हिन्दुओं को कत्ल किया और स्थानीय पुलिस थानों पर हमला किया तो उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप म्यांमार की सेना ने रेखाइन के उस क्षेत्र में जहां रोहिंग्या मुसलमान आंतक फैला रहे थे पर कारवाई की और सैनिक कार्रवाई के परिणामस्वरूप रोहिंग्या मुसलमान क्षेत्र छोड़ भागने को मजबूर हो गये। बांग्लादेश, भारत तथा पाकिस्तान तीनों देशों में यह घुसपैठ करने में सफल रहे।

भारत की सीमा पर करीब 40 से 50 हजार रोहिंग्या मुसलमान आ चुके हैं और भारत में स्थाई रूप में रहना चाहते हैं। भारत उनकी मांगों को अस्वीकार कर चुका है। भारत का मानना है कि जिस देश से ये आये हैं वही इन्हें आतंकवादी कह रहा है, इसलिए भारत आंतकवादियों को शरण नहीं दे सकता। भारत का कहना है कि म्यांमार की सरकार से रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी को लेकर बातचीत चल रही है। म्यांमार की सरकार भी रोहिंग्या मुसलमानों की शिनाख्त करने के बाद वापस लेने की बात कह रही है। म्यांमार सरकार का मानना है कि रोहिंग्या बांग्लादेशी हैं जिन्हें अंग्रेज सरकार ने यहां बसाया था, इसलिए यह हमारे नागरिक नहीं हैं।

रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी मानने को भारत सरकार तैयार नहीं है, जबकि देश का एक वर्ग जो वोट बैंक की राजनीति करना चाहता है वह देश की राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति के साथ-साथ देश की सुरक्षा की भी अनदेखी कर रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने की वकालत करता दिखाई दे रहा है। इस वर्ग का कहना है कि रोहिंग्या के अतीत को नजरअंदाज करते हुए इन मुसलमानों की भारत में रहने की मांग को मानवीय आधार पर स्वीकार किया जाना चाहिए। धर्म निरपेक्षता की आड़ में तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों को रोहिंग्या मुस्लिमों की दयनीय स्थिति तो नजर आती है लेकिन राष्ट्रहित दिखाई नहीं दे रहा। कश्मीर घाटी से दशकों पहले पलायन किए गए कश्मीरी पंडित किस दशा में जीवन व्यतीत कर रहे हैं यह इस वर्ग को दिखाई नहीं दे रहा। घाटी में सुरक्षा बलों, पुलिस व सेना के जवानों पर हो रहे हमलों के विरुद्ध भी यह वर्ग चुप ही रहता है। हां, भारत सरकार की कमजोरियों को जगजाहिर करना ये अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानता हैं। घाटी में ही नहीं देश व दुनिया में जहां हिन्दू बैठे हैं उनके साथ, विशेषतया मुस्लिम देशों में, कैसा व्यवहार किया जाता है इस बारे इनकी जुबान, आंखें व कान सब बंद दिखते हैं।

मानवीय पक्ष की दुहाई देता उपरोक्त वर्ग रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा मारे गये हिन्दुओं और शेष के धर्मपरितर्वन के बारे में चुप्पी साध लेता है। मुस्लिम देशों में हिन्दुओं की क्या स्थिति है तथा उनकी कठिनाइयों को लेकर चुप्पी साधने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के लिए क्यों इतना शोर मचा रहे हैं उत्तर है केवल और केवल वोटों के लिए। रोहिंग्या मुसलमान ने 92 हिन्दुओं की हत्या की है, इस बारे भी तुष्टिकरण की राह पर चलने वाले मौन साधे हुए हैं। प्रश्न है कि ऐसा क्यों हो रहा है? देशहित को नजरअंदाज कर के घुसपैठियों की मदद करना कहां तक उचित है? रोहिंग्यों द्वारा जिस तरह हिन्दुओं को कत्ल किया गया है उसके बावजूद मानवता को देखते भारत सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के लिए आज भी राशन भेज रही है। रोहिंग्या मुसलमानों को कोई भी मुस्लिम देश स्थाई रूप से रखने को तैयार नहीं है, बावजूद इसके कि सभी करीब-करीब मुस्लिम हैं।

देश 71 में हुई जंग के बाद बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्या से अभी भी निपट पाने में असफल हो रहा है, ऐसे में रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देना अपने पांव पर आप कुल्हाड़ी मारने वाली बात ही होगी। मात्र वोट बैंक को ध्यान में रखने वालों को समझना होगा कि देशहित से कोई बड़ी बात नहीं है। मानवता को देखते व समझते हुए भारत आज भी बांग्लादेश में बैठे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए बुनियादी आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपना योगदान डाल रहा है।
रोहिंग्या मुसलमानों के अतीत को देखते हुए ही भारत ने रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा पर ही रोक लिया है। मोदी सरकार रोहिंग्या मामले में व्यवहारिक हो चली है। सरकार ने जो स्टैण्ड लिया है उसे जन साधारण सराह रहा है। भारत सरकार की नीति का विरोध करने वालों को रोहिंग्या मुसलमानों के अतीत तथा वर्तमान में किये कर्मों को समझने की आवश्यकता है। विशेषतया उनकी हिन्दू विरोधी नीति को देखते हुए तथा देश की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। भारत एक लोकतांत्रिक देश अवश्य है लेकिन धर्मशाला नहीं। यह बात भी सभी को समझने की आवश्यकता है। रोहिंग्या आज जिस स्थिति में हैं वह अपने किये कर्मों के कारण ही हैं। इस स्थिति के लिए रोहिंग्या मुसलमान स्वयं जिम्मेवार हैं। जो उन्होंने किया है उसका परिणाम ही तो उनके सामने आया है। जो बोया है वही तो वह काटेंगे।

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