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राष्‍ट्रपति ने बोस संस्‍थान के शताब्‍दी उत्‍सव के समापन समारोह को संबोधित किया; कहा इसका भारतीय विज्ञान के परिदृश्‍य में असाधारण और उत्‍कृष्‍ट स्‍थान है

राष्‍ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय विज्ञान के परिदृश्‍य में बोस संस्‍थान का असाधारण और उत्‍कृष्‍ट स्‍थान है। यह देश में स्‍थापित होने वाले सबसे पहले के वैज्ञानिक संस्‍थानों में से एक है। इस संस्‍थान ने विज्ञान और देश के हित में अपनी सेवाएं दी हैं। इसका जैविकी और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान पर सबसे अधिक योगदान है। इसके साथ ही इस संस्‍थान का ग्रामीण बायो टैक्‍नोलॉजी पहल के जरिए ग्रामीण बंगाल में अति सक्रिय सामाजिक पहुंच कार्यक्रम भी था। यह संस्‍थान पूर्वोत्‍तर के विभिन्‍न राज्‍यों में स्‍कूली बच्‍चों के लिए शैक्षिक स्‍तर उत्‍थान कार्यक्रम भी कर रहा है। यह संस्‍थान सही मायने में हमारे समाज के जमीनी स्‍तर पर विज्ञान और नवाचार की संस्‍कृति को फैलाने के लिए ईमानदार प्रयास कर रहा है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि बंगाल देश की शुरूआती औद्योगिक और विनिर्माण अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक है। इस विरासत और इसके शैक्षिक संस्‍थानों के साथ इस संस्‍थान को हमारे देश के सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्‍व करना चाहिए। लेकिन किसी भी कारण से सूचना प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम क्षेत्रों में इसने देरी से शुरूआत की है और सूचना प्रौद्योगिकी का केन्‍द्र हमारे देश के दक्षिणी राज्‍यों जैसे अन्‍य राज्‍यों में स्‍थापित हो गए। अब बंगाल के पास दूसरा अवसर है। इस समय हम डिजिटल प्रौद्योगिकियों के फैलाव के चरण में हैं। जिस प्रकार से हम कार्य करते थे, उनकी दिशाएं सटीक विनिर्माण और जैव सूचना जैसी आधुनिक विधाओं के कारण बदल रही हैं। रोबोटिक्‍स भी हमारे जीवन में परिवर्तन ला रहा है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि इन सबकी वजह से बंगाल, बंगाल के विज्ञान और बंगाल के प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिकों के लिए काफी अवसर उपलब्‍ध हैं। आचार्य जे.सी. बोस को हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि नवाचार और खोज के इस नये युग को अंगीकार करना होगा, जैसा कि उन्‍होंने शताब्‍दी पहले नवाचार तथा खोज की प्रक्रिया का नेतृत्‍व किया था।

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