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‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान

लेखक, वी. श्रीनिवास 1989 बैच के आईएएस ऑफिसर है जो वर्तमान में राजस्थान टैक्स बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत हैं। लेख में व्यक्त विचार उन के निजी हैं।

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने 15 सितंबर, 2017 को कानपुर जिले के ईश्वरगंज गांव से ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान का शुभांरभ किया। राष्ट्रपति महोदय ने स्वच्छता ही सेवा की शपथ दिलवाई। इसके तहत राष्ट्र ने एक स्वच्छ, स्वस्थ और नए भारत के निर्माण का संकल्प लिया। उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत स्वच्छता और आरोग्य के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है। स्वच्छता केवल सफाईकर्मियों और सरकारी विभागों की जिम्मेदारी नहीं हैं यह एक ऐसा राष्ट्रीय आंदोलन है जिसमें बहुपक्षीय हित जुड़े हुए हैं।’

महात्मा गांधी का एक मशहूर कथन है, ‘स्वच्छता, राजनीतिक स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है।’ यह कथन समाज में स्वच्छता के महत्व को रेखांकित करता है। इन शब्दों से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2014 को लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि हमें गंदगी और खुले में शौच के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, हमें पुरानी आदतों को बदलना है और महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे गांवों में महिलाओं का गौरव एक महत्वपूर्ण विषय है। खुले में शौच समाप्त होना चाहिए। शौचालयों का निर्माण होना चाहिए और उनका उपयोग होना चाहिए।

स्वच्छ भारत मिशन 02 अक्टूबर, 2019 तक एक स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है। इस लक्ष्य के कारण शौचालयों के निर्माण में बढ़ोतरी हुई है और इसका उपयोग करने वालों की संख्या भी बढ़ी है। इससे लोगों में स्वच्छता के प्रति बेहतर व्यवहार को बढ़ावा मिला है। ठोस और द्रव कचरा प्रबंधन से भी स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। स्वच्छ भारत मिशन के लिए वित्तीय आवंटन में निरंतर वृद्धि हुई है। यह आवंटन 2014-15 में 2,850 करोड़ रुपये था जो 2015-16 में बढ़कर 6,525 करोड़ रुपये हो गया। 2017-18 के लिए यह आवंटन 14,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। पिछले तीन वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 48,264,304 शौचालयों का निर्माण हुआ है। खुले में शौच से मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 2,38,966 हो गई है। व्यक्तिगत शौचालयों का कवरेज 2014 के 42 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 64 प्रतिशत हो गई है। पांच राज्यों ने अपने को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने कहा है कि अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच से मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के संदर्भ में यह प्रगति उत्साहवर्धक है।

स्वच्छ भारत मिशन, स्वच्छता प्रक्षेत्र में सुधार चाहता है। इसका प्राथमिक फोकस लोगों में व्यवहार के बदलाव से संबंधित है जिसे खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मूलभूत उपकरण के रूप में माना जा सकता है। बुजुर्गों, दिव्यांगजनों, छोटे बच्चों और महिलाओं की मासिक धर्म की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों को डिज़ाइन किया गया है। यह डिज़ाइन स्वच्छ भारत मिशन के समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसके अलावा मिशन लिंग संवेदी सूचनाएं, शिक्षा, संचार/व्यावहारिक बदलाव भी प्रचारित करना चाहता है। मिशन ने 2017 में लिंग संबंधी और 2015 में महिलाओं के मासिक रजोवृत्ति संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

निगरानी और मूल्यांकन की नई प्रणाली प्रारंभ की गई है। ग्रामीण भारत के लिए किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण से यह पता चला है कि हिमाचल प्रदेश का मंडी तथा महाराष्ट्र का सिंधुदुर्ग भारत के सबसे स्वच्छ जिले हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में 22 पर्वतीय जिलों और 53 मैदानी क्षेत्रों को शामिल किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी के लिए निजी कंपनियों की सेवाएं ली गई जिसने स्वच्छता कवरेज के संदर्भ में नमूना-आधार का उपयोग किया और पूरे देश में खुले में शौच की वास्ताविक स्थिति का आकलन किया।

पूरे देश में 92,000 घरों और 4,626 गांवों को शामिल करते हुए एक विशाल सर्वेक्षण किया गया। इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे स्थित 200 गांवों का भी सर्वेक्षण किया गया। अभिताभ बच्चन को स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया और लोगों को प्रेरित करने के लिए सचिन तेंदूलकर व अक्षय कुमार जैसे लोकप्रिय व्यक्तियों को सहभागी बनाया गया। लोगों को जागरूक बनाने के लिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों का उपयोग किया गया। एक न्यूजलेटर, ‘स्वच्छता समाचार पत्रिका’ भी प्रकाशित की जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन के विषय पर आधारित बॉलीवुड फिल्म, ‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर काफी सफलता हासिल की है।

स्वच्छ भारत मिशन एक राष्ट्रीय आंदोलन है जिससे केन्द्रीय मंत्रालय, राज्य सरकार, स्थानीय संस्थाएं, गैर-सरकारी और अर्ध-सरकारी एजेंसियां, उद्योग जगत, गैर-सरकारी संगठन, धार्मिक समूह, मीडिया आदि कई हित समूह जुड़े हुए हैं। यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री के उस वक्तव्य पर आधारित है जिसमें उन्होंने कहा था कि स्वच्छता केवल सफाई विभाग की नहीं वरन् प्रत्येक व्यक्ति की भी जिम्मेदारी है।

कई तरह की पहले और परियोजनाएं प्रारंभ की गई है। अंतर-मंत्रिस्तरीय परियोजनाओं में स्वच्छता पखवाड़ा, नमामि गंगे, स्वच्छता कार्य योजना, स्वच्छ-स्वस्थ-सर्वत्र अभियान, स्कूल स्वच्छता अभियान, आंगनवाडी स्वच्छता अभियान, रेलवे स्वच्छता जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। अंतर-क्षेत्रीय सहयोग में स्वच्छ विख्यात स्थान, उद्योग जगत की भागीदारी, परस्पर धर्म सहयोग, मीडिया अनुबंध और संसद अनुबंध जैसे कार्य शामिल हैं। 76 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में  स्वच्छता कार्य योजना को विकसित किया गया है। इंटरनेट आधारित पोर्टल बनाए गए हैं ताकि  प्रगति की निगरानी की जा सके और कार्यान्वयन स्थिति को रेखांकित किया जा सके। महिला स्वच्छग्राहियों की नियुक्तियां की गई और कार्यक्रम में महिलाओं की साझेदारी बढ़ाने के लिए ‘स्वच्छ शक्ति’ पुरस्कारों की घोषणा की गई। स्वच्छ भारत की सफलता के समाचार बताते हैं कि शौचालयों के निर्माण ने ग्रामीण लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं क्योंकि उनमें रात के अंधेरे में खुले में शौच जाने की बाह्यता नहीं रह गई है। इसके अतिरिक्त घर में शौचालय निर्माण से खुले में शौच से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों में भी अत्यधिक कमी आई है।

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन एक ऐसा बिन्दू है जिसे एक विशाल जन-आंदोलन में परिणत किया जा सकता है। ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान लोगों को संगठित करना चाहता है ताकि वे गांधी जयंती तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े के दौरान श्रमदान करके इस मिशन से सीधे तौर पर जुड़ सकें।

लेखक, वी. श्रीनिवास 1989 बैच के आईएएस ऑफिसर है जो वर्तमान में राजस्थान टैक्स बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत हैं। लेख में व्यक्त विचार उन के निजी हैं।  (First Published On PIB).

Text of PM’s address at Sahkar Sammelan on the occasion of birth centenary of Laxmanrao Inamdar on 21 September, 2017

Swachhta Hi Seva Campaign, IAS V.Srinivas