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कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत और जापान के बीच तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी) समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान की आज की जापान यात्रा में भारत और जापान ने 17 अक्टूबर, 2017 को तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी) पर सहयोग ज्ञापन समझौते को पूरा किया।

इस सहयोग ज्ञापन पर भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालाय की ओर से श्री धर्मेन्द्र प्रधान और जापान की ओर से जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्री कात्सू नोबो कातो ने हस्ताक्षर किया। सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह टोक्यो में स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय में हुआ। इस सहयोग ज्ञापन से कौशल विकास के क्षेत्र में भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार होगा। भारत तीसरा देश है जिसके साथ जापान ने तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण अधिनियम की आवश्यकता के अनुसार सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।

जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे की सितंबर, 2017 की भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संयुक्त वक्तव्य में जापान और भारत के प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया था कि जापान की अग्रणी टेक्नोलॉजी और भारत का समृद्ध मानव संसाधन मिलकर दोनों देशों को वैश्विक औद्योगिक नेटवर्क में उत्पादन के नए केन्द्रों में बदल सकते हैं। इस संबंध में दोनों प्रधानमंत्रियों ने जापान के तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के ढांचे का उपयोग कर मानव संसाधन विकास और आदान-प्रदान की संभावनाओं पर बल दिया था। इस सहयोग ज्ञापन से तीन से पांच वर्षों के लिए भारत के तकनीकी इंटर्नों को रोजगार प्रशिक्षण के लिए जापान भेजने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 2016 के अंत तक जापान सरकार के डाटा के अनुसार विभिन्न देशों के लगभग 230,000 तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षु जापान में प्रशिक्षण ले रहे हैं। 2016 में लगभग 1,08,709 तकनीकी इंटर्न वियतनाम, चीन तथा इंडोनेशिया जैसे सहयोगी देशों से जापान पहुंचे।

जापान में भारत के राजदूत सुजन आर. चिनॉय के अनुसार भारत द्वारा जापान के तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम में भागीदारी बढ़ाने की गुंजाइश है। इस प्रशिक्षण से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस विजन में योगदान मिलेगा की भारत विश्व के लिए सबसे बड़ा कुशल कार्यबल प्रदान करने वाला देश है। तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम एक आदर्श मंच है जिसके माध्यम से भारत और जापान पारस्परिक लाभ के लिए एक-दूसरे की मजबूतियों का लाभ उठा सकते है।

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